नो फेप वह नहीं होता जो आप मानते हो।
समझाता हूं। मेरी कुछ बातें आपको भारी-भरकम लग सकती हैं, लेकिन इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना ताकि आपको हर चीज़ क्लियर हो सके कि नोफैप क्या होता है और इसे कैसे किया जाता है।
नोफैप का सिंपल मतलब होता है — ब्रह्मचर्य का जो मॉडर्न तरीका होता है, उसे हम नोफैप कहते हैं।
या हम ये भी कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य का दूसरा नाम नोफैप या सेलिब्रेसी होता है।
आप नोफैप क्यों कर रहे हैं?
कई लोगों के अपने-अपने मकसद होते हैं — कोई अपनी सेक्सुअल प्रोडक्टिविटी बढ़ाना चाहता है, कोई अपनी बॉडी बनाना चाहता है, कोई अपने शरीर की कमजोरियों को दूर करना चाहता है।
कुल मिलाकर उद्देश्य लगभग ठीक है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन उद्देश्यों से आपका नोफैप ठीक होगा? या क्या ये उद्देश्य पर्याप्त हैं आपके नोफैप को सही दिशा देने के लिए?
एक बार गहराई से जरूर सोचिए।
अब सवाल ये उठता है कि क्या नोफैप करने के बाद, चाहे वो 90 दिन का हो या 1 साल का — क्या हम पहले जैसी नॉर्मल जिंदगी जी पाएंगे?
डर और शंका ही असली बीमारी हैं
मैं एक दिल की बात बताना चाहता हूं — आपने अपने मन में जितने भी डर, आशंकाएं और विचार बना रखे हैं, उन्हीं के कारण आप खुद को बीमार मान बैठे हैं।
यही कारण है कि आप नोफैप करने के बाद के रिजल्ट को लेकर चिंतित रहते हैं कि:
“क्या मैं ठीक हो पाऊंगा?”,
“क्या नोफैप से सच में फायदा होगा?”,
“अगर नहीं हुआ तो क्या होगा?”
असलियत में अगर आप खुद से प्रेम करना जान जाओ, तो कोई भी डर, एक्सपेक्टेशन या चिंता आपको परेशान नहीं कर सकती।
नोफैप का सही मार्ग — पवित्र उद्देश्य
नोफैप ब्रह्मचर्य का आधुनिक तरीका है। लेकिन अगर आप इसे केवल शारीरिक सुधार तक सीमित रखते हैं, तो आप इसके वास्तविक अर्थ से वंचित रह जाते हैं।
अगर इसे पवित्र माना गया है, तो इसे दूषित इच्छाओं के लिए मत अपनाओ।
दूषित इच्छाएं मतलब — ठीक होने के बाद क्या हम वही चीजें दोबारा कर पाएंगे? वही पुरानी आदतें, वही इच्छाएं, वही चटपटा जीवन?
इन्हीं सवालों के कारण आप इस किसी भी शारीरिक या मानसिक समस्या से बाहर नहीं निकल पा रहे।
आपको अपना उद्देश्य और इंटेंट सही करना होगा।
यह इतना पवित्र मार्ग है कि अगर इसे सही दिशा में लगाया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकता है।
गलत इरादा ही सबसे बड़ा अवरोध
अगर आपका इरादा सिर्फ शरीर को ठीक करने तक सीमित है, और ठीक होने के बाद का उद्देश्य गलत है,
तो चाहे आप 90 दिन करें या 1 साल,आपका मन दूषित ही रहेगा।
कई लोग कहते हैं कि “मुझे नोफैप करते हुए 90 दिन से ऊपर हो गए, लेकिन नाइट फॉल अब भी ठीक नहीं हुआ।” क्योंकि आपके मन में उसका इंटेंट गलत है।
आप रिपेयर तो करना चाहते हैं, पर रिपेयर के बाद क्या करना है — वो इरादा ही आपको बार-बार नीचे गिरा देता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है —
“इच्छाएं और उम्मीदें कभी व्यक्ति को मुक्त नहीं कर सकतीं।”
जब तक आप अपनी उम्मीदों से बंधे रहेंगे, तब तक आप सही मार्ग पर नहीं चल पाएंगे।
माइंडफुलनेस क्या है और क्यों जरूरी है
इसलिए माइंडफुलनेस यानी “साक्षी भाव से जीना” बहुत जरूरी है।
माइंडफुलनेस का मतलब होता है — हर चीज को होशो-हवाज़ में करना।
जब आप भोजन कर रहे हैं, तो पूरी शांति और समर्पण के साथ भगवान का धन्यवाद करके एक-एक निवाले को महसूस करके खाइए।
भोजन को पूरे सलाइवा के साथ चबाकर फील कीजिए कि वह आपके अंदर पॉजिटिव एनर्जी भर रहा है।
इसी तरह का जीवन जीना आपके शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है।
सेल्फ कॉग्निटिव थेरेपी — खुद को समझने की कला
इन्हीं सभी अभ्यासों को कहा जाता है सेल्फ कॉग्निटिव थेरेपी।
इसका मतलब है दिनभर अपने विचारों और भावनाओं को जागरूक होकर देखना, उन्हें नोट करना, समझना और सुधारना।
ये पूरी प्रक्रिया आपको धीरे-धीरे मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक करती है।
अगर आप इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें, तो इसका मकसद यही है कि आप बिना उम्मीद के, पूरे साक्षी भाव से जीवन जिएं।
माइंडफुलनेस आपको उम्मीदों से मुक्त करती है
माइंडफुल टेक्निक्स का उद्देश्य है आपको उम्मीदों और इच्छाओं के बंधन से मुक्त करना। और जब आप उम्मीदों से परे हो जाते हैं, तो आपका शरीर और आपकी सेक्सुअल पावर अपने आप लौट आती है।
आप फिर से सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन संयम और सजगता के साथ।
निष्कर्ष
लास्ट में बस यही कहना है —
“नोफैप नहीं, नोफियर रहिए।”
सचेत रहिए, संयमित रहिए।
इस आध्यात्मिक यात्रा में जुड़िए, और अपने जीवन को सरल, शुद्ध और सुलभ बनाइए।
आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल जीवन की कामनाएं।
ॐ शान्तिः।


