नमस्कार मेरे आध्यात्मिक मित्रों 🙏, आज के इस आर्टिकल में हम आपको पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों के पीछे की असली वजह को उजागर करेगी। आपके लिए ये आर्टिकल इसलिए जरूरी है क्यों की इसमें बताएं गए दुष्परिणाम और उपायों की मदद से आप अपने बच्चों या आने वाली पीढ़ी को सुधार सकते है। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने समाज को सही दिशा में लाने की एक छोटी सी कोशिश की है।
"पढ़े-लिखे अनपढ़" शब्द का अर्थ उन लोगों से है जो औपचारिक शिक्षा तो प्राप्त कर चुके होते हैं, लेकिन उनके सोचने, समझने और जीवन में उसे लागू करने की क्षमता कमजोर हो चुकी है। वे ज्ञान से अधिक सूचनाओं के गुलाम बन जाते हैं।
आज हमारे समाज में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। और इसके आगे चलकर बहुत दूरगामी परिणाम होंगे। ऐसे समाज की कल्पना भी बहुत डरावना सा प्रतीत होता है। इसके लिए अगर आज हम कदम नहीं उठाएंगे तो इसके परिणाम हमारे घर परिवार को भी झेलने पड़ सकते है।
"पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों" का असली कारण क्या है? आइए गहराई से समझते हैं। आर्टिकल के अंत में मै आपको इस समस्या के समाधान भी बताऊंगा ताकि आप खुद को और अपनी आने वाली पीढ़ी को बर्बाद होने से बचा पाएंगे।
1. ज्ञान का अभाव, और सूचना की अधिकता
आज की शिक्षा व्यवस्था हमें नंबर लाने और डिग्रियां लेने के लिए प्रशिक्षित करती है, जीवन जीने के लिए नहीं। ऐसे में छात्र केवल किताबें पढ़ते हैं, लेकिन आत्म-चिंतन और व्यावहारिक समझ नहीं विकसित कर पाते हैं। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का सामर्थ न होने के कारण आत्महत्या जैसे परिणाम देखने को मिलते है।
आज के इस आधुनिक समाज में जानकारियां इतनी बढ़ गई है कि लोग अधिक जानकारी हासिल करने की वजह से भ्रमित हो रहे है।
2. कामुकता की आदतें और मानसिक कुंठा
हस्तमैथुन और अश्लीलता जैसी आदतें मानसिक ऊर्जा को नष्ट कर देती हैं। इससे एकाग्रता, आत्म-विश्वास और सोचने की शक्ति कम हो जाती है। बुरी आदतों के कारण वे अपना सुखी वैवाहिक जीवन नही जी पाते है और ये मानसिक तनाव का कारण बनता है।
दिमाग की सुस्ती, किसी भी काम में मन न लगना, बुद्धि की क्षमता क्षीण होना, इम्यून सिस्टम कमजोर होना, डिप्रेशन आदि बुरे विकार कामोत्तेजना में डूबे रहने के दुष्परिणाम है।
ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्यक्ति में मानसिक स्पष्टता और तेज देखने को मिलता है, जो उसे दूसरों से अलग बनाता है।
3. आत्म-अनुशासन की कमी
आज का युवा हमेशा अस्त व्यस्त जिंदगी जीना ज्यादा पसंद करता है जिसे वो कूल समझता है। लेकिन यही आगे चलकर बर्बादी का कारण बनता है।
आत्म अनुशासन की कमी की वजह से बच्चों में आलस, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, और डिप्रेशन जैसे विकार देखने को मिलते है। शारीरिक और मानसिक अनुशासन के बिना ज्ञान को प्रैक्टिकल लाइफ में इंप्लीमेंट करना कठिन हो जाता है।
4. सच्चे गुरु और मार्गदर्शन की कमी
कई लोग सोचते हैं कि डिग्री ही सब कुछ है। लेकिन जीवन जीने की कला और आत्मज्ञान सिखाने वाले गुरु की तलाश नहीं करते। ऐसे में कई सारे लोग भले ही अच्छी नौकरियां और पद पा लेते है लेकिन नौकरियां रहते हुए भी वो डिप्रेशन की गोलियां खाते है। क्यों कि उन्होंने जिंदगी को कैसे मैनेज करना है या कैसे संयम से रहना है कभी सिखा ही नहीं।
इसीलिए बच्चों को हमेशा एक सच्चे गुरु की आवश्यकता है लेकिन आज के समाज में गुरुओं की जगह आधुनिक शिक्षक और एजुकेशन सिस्टम की बिजनेस प्रणाली ने ले ली है। जिस कारण से बच्चे एक सच्चा गुरु पाने से वंचित रह जाते है।
कैसे पड़े लिखे अनपढ़ों की गिनती से बाहर निकले?
अब बात आती है कि आज का युवा कैसे "पढ़े लिखे अनपढ़" की केटेगरी से बाहर आ सकता है। तो इसके लिए आपको खुद कुछ कदम उठाने होंगे।
जैसे के मै हमेशा मेरी हर यूट्यूब वीडियो में सभी से ब्रह्मचर्य और आध्यात्म का पालन करने को कहता हु क्यों की इससे आपमें शारीरिक और मानसिक बल बढ़ेगा और इसी के साथ आपको देखकर आने वाली पीढ़ी भी अच्छे आचरणों को जीवन में अपनाएगी।
आज का युवा अपना ज्यादा समय मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, वीडियो गेम्स आदि में बीतता है तो इसे भी जितना हो सके कम करना होगा। माना कि आधुनिकता आज की मूलभूत आवश्यकता है, लेकिन आपको संयम से आधुनिकता को अपनाना है, कही ऐसा न हो कि टेक्नोलॉजी आपको मानसिक रूप से अस्वस्थ कर दे।
आप मोबाइल में पूरे दिन क्या देखते और सुनते है इसका भी प्रभाव आपके विचारों और जीवन जीने की कलाओं पर पढ़ता है। इसीलिए आपको इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, आदि के माध्यम से अच्छे लोगों को फॉलो करना होगा जिससे आपके विचारों में सकारात्मकता आए और आप एक उज्वल भविष्य बना पाए।
इस आर्टिकल संबंधित हमारा यूट्यूब वीडियो:
उम्मीद है कि आज के इस आर्टिकल से आपको कुछ सीखने को मिला होगा। आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले आर्टिकल में।
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आप सभी को ॐ🙏।