नमस्कार मेरे आध्यात्मिक मित्रों 🙏, आज के इस आर्टिकल में हमने समाज के एक अश्लील पहलू को उजागर किया है। जो भी लोग हमेशा नग्नता और लड़कियों के पीछे पड़े रहते है उनके लिए ये आर्टिकल शायद लाइफ चेंजिंग आर्टिकल हो सकता है।
मेरा एक दोस्त है जो पूरे दिन लड़कियों के पीछे पड़ा रहता था और स्कूल टाइम से ही मै उसको नोटिस कर रहा हु कि वो बस हवस का भूखा है। उसे बस कोई लड़की दिखी कि उसके साथ फ्लर्ट शुरू कर देगा। मैने उसको कई बार बोला कि ये लड़कियों के चक्कर में मत पड़ लेकिन नहीं माना।
देखा जाए तो वो लड़कियों से कभी फिजिकल नहीं हुआ क्यों कि सभी लड़कियां जानती थी कि उसकी नियत खराब है आज अगर में उसकी बन गई तो फिर कल वो किसी और के साथ संबंध बनाएगा।
और ऐसे लड़के समाज में बहुत घूम रहे है। मै देखता हु कॉलेज टाइम पर भी ऐसे कई सारे लड़कों को देख है। और न सिर्फ लड़के बल्कि कई सारी लड़कियां भी ऐसे अश्लील काम करती है।
कई बार लड़कियां ऐसे लड़कों की वजह से इतनी इनसिक्योर फील करती है कि वो परेशान हो चुकी है। कॉलेज में या फिर समाज में ऐसे कई सारे रेप के केसेस भी देखने को मिलते है।
आज मैं आपको बता देना चाहता हु कि यार ये जानवरों जैसी जिंदगी जीना बंद करो। आपने देखा होगा अपने मोहल्ले में कुत्ते कैसे वो एक कुत्तियां के पीछे पड़े रहते है हेना।
तो फिर इन छिछोरे लड़कों में और उन कुत्तों में क्या अंतर है बताओ मुझे। भगवान ने हमे इतना उच्च कोटि का शरीर दिया है जिसे हम मानव शरीर बोलते है क्या बस संभोग और व्यविचार के लिए दिया है। आप सोचो बैठकर इस बात को।
आज न जाने कितनी लड़कियां है जो समाज में अकेली जाने में घबराती है सिर्फ ऐसे छिछोरे दरिंदो के कारण। ये गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड का जो कल्चर है ना, ये आज के समाज की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है।
लेला मजनू की तरह बस दुम हिलते हुए घूमते रहते है। अरे कब समझोगे असली प्रेम का मतलब कब आंखे खुलेगी आप लोगों की।
मान जाओ आपके पास समय है क्यों कि बुढ़ापे में सिर्फ पछतावा रह जाएगा। जब आप पूछोगे अपने आप से की मैने जिंदगी में क्या किया तो क्या जवाब दोगे।
सोचो अगर द्रौपदी के इज़्ज़त पर हाथ उठाने वालो को कुत्तों की तरह मारा गया रण भूमि में तो तुम तो उससे भी बड़े दरिंदे हो फिर भगवान तुम्हार क्या हाल करेगा। हर किसी लड़की के पीछे पड़े रहते हो मानवता तो बिल्कुल खत्म हो गई है तुमने।
चरित्र ऐसा होना चाहिए कि अगर कोई लड़की अकेली चल रही हो तो तुम्हे देखकर वो बेफिक्र हो जाए।
ये जो आज की समाज में डिप्रेशन, एंजाइटी, जैसी मानसिक चीजें क्यों बढ़ रही है क्यों कि इसका कारण यही नग्नता है जिसको देखकर बच्चे हस्तमैथुन करते है और फिर खुद को नष्ट कर लेते है।
मुझे यूट्यूब के माध्यम से कई सारे ऐसे कॉमेंट्स आते है जिसमें लोग अक्सर अपने वीर्य नाश की गाथाएं सुनते है जिसमें वो किस्बतरह बर्बाद हुए है ये बताते है। मोबाइल में नग्नता को देखकर खुद को नाबाद करना बंद करो नहीं तो कोई नहीं बचा पाएगा। अभी जवानी है शरीर और माइंड रिकवर हो सकता है, 50 की उम्र के बाद कुछ भी मुमकिन नहीं है या बहुत कठिन है ठीक होना।
और ये बाते सिर्फ लड़कों के लिए लागू नहीं होती है। मैने कई बार देखा है कि लड़कियां भी इसे ही छिछोरे लड़कों को पसंद करती है जो बिल्कुल महफिल में रहते है, अच्छी कार है, पैसा है, भले ही उनका चरित्र हैवान जैसा है। कई सारी लड़कियां ऐसे ही लड़कों के चक्कर में फस जाती है क्यों कि ऐसे लड़के शुरुआत में अपना सब अच्छा उनके सामने प्रेजेंट करते है और फिर बाद में अपनी औकात दिखा देते है।
तो मैं लड़कियों से भी बोलना चाहता हु कि इस गंदगी को बढ़ावा मत दो। ऐसे छिछोरे लड़कों को भाव देना बंद करो नहीं तो वहीं लड़का जब आपका पति बनेगा तो नशा करके तुम्हीं को मरेगा, प्रताड़ित करेगा तब कहा जाओगी। क्यों कि तुम आलरेडी मा बाप के खिलाफ शादी कर चुकी होगी और वहां का दरवाजा तो बंद हो जाएगा हमेशा के लिए। ये सच्चाई है जीवन की समझ जाओ नहीं तो जय राम जी की।
मुझे कमेंट आते है कि भाई मैने 10 साल से वीर्यनाश किया और आज में डिप्रेशन में हु मुझे बचा लो। मैने यही जवाब देता हु कि सुधार जाओ अभी भी समय है क्यों कि ये जवानी भी चली गई तो फिर पछतावा रहेगा और कुछ नहीं।
लड़कियों और नग्नता (अश्लीलता) को देखने के दुष्परिणाम
लड़कियों के पीछे पड़ने और नग्नता (अश्लीलता) को देखने के दुष्परिणाम (बुरे परिणाम) बहुत गंभीर और बहुआयामी होते हैं — शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सभी स्तरों पर। नीचे विस्तार से बताया गया है:
1. मानसिक दुष्परिणाम:
- एकाग्रता की कमी: दिमाग बार-बार स्त्रियों या अश्लील दृश्यों की ओर भटकता है, जिससे पढ़ाई, काम या साधना में मन नहीं लगता।
- विकृत मानसिकता: महिलाओं को केवल एक वस्तु के रूप में देखने की आदत पड़ जाती है, जो रिश्तों और सामाजिक व्यवहार को खराब करती है।
- अवसाद और आत्मग्लानि: अश्लीलता देखने के बाद व्यक्ति अक्सर अपराधबोध से भर जाता है, जिससे डिप्रेशन और आत्मसम्मान में कमी आती है।
2. शारीरिक दुष्परिणाम:
- शुक्रधातु की हानि: बार-बार उत्तेजित होने से वीर्य स्खलन होता है, जिससे शरीर में कमजोरी आती है।
- नर्वस सिस्टम पर असर: अश्लीलता देखने से मस्तिष्क के डोपामिन स्तर में असंतुलन आता है, जिससे शरीर थका हुआ और अशांत महसूस करता है।
- नींद की कमी: उत्तेजना के कारण नींद पर असर होता है और दिनभर थकान बनी रहती है।
3. सामाजिक दुष्परिणाम:
- स्त्रियों के प्रति अपमानजनक दृष्टिकोण: लड़कियों को इज्जत देने की जगह उन्हें शिकार समझा जाने लगता है, जिससे समाज में बलात्कार और छेड़छाड़ जैसी घटनाएं बढ़ती हैं।
- रिश्तों में दरार: अपने जीवनसाथी या परिवार के सदस्यों से भावनात्मक दूरी बन जाती है।
- समाज में बदनामी: बार-बार लड़कियों के पीछे पड़ना या उन्हें घूरना सामाजिक रूप से अपमानजनक होता है और पुलिस केस तक बन सकता है।
4. आध्यात्मिक दुष्परिणाम:
- ऊर्जा का नाश: कामवासना में डूबने से ब्रह्मचर्य का ह्रास होता है, जिससे आत्मबल, ओज, तेज और आध्यात्मिक उन्नति रुक जाती है।
- आत्मिक पतन: ऐसी आदतें अंततः व्यक्ति को पशुवृत्ति की ओर ले जाती हैं, जिससे पुनर्जन्म में अधोगति (नीच योनि) मिल सकती है।
अच्छे काम करो, ईमानदार रहो, ब्रह्मचर्य का पालन करो, अच्छा कंटेंट कंज्यूम करो, विचारों पर काम करो, अच्छी किताबें पढ़ो, ये आदतें ही आपको वापिस से मनुष्य बना सकती है नहीं तो आपकी दुर्गति पक्की है।
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आप सभी के अच्छे स्वास्थ की कामनाएं।
आप सभी को ॐ 🙏।